अनुप्रास अलंकार -
जहाँ पर किसी काव्य में किसी एक वर्ण अथवा अनेक वर्णों की आवृति हो अथवा कोई एक या अनेक वर्ण बार - बार आए, तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से काव्य सुनने अथवा बोलने में सुंदर लगता है।
उदाहरण -
- मुदित महापति मंदिर आये।
- मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला।
- कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है।
- कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी।
- कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
- कंकण किंकिण नुपुर धुनी सुनी।
- तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।
- चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में।
- बल बिलोकी बहुत मेज बचा।
- कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी।
- रघुपति राघव राजा राम।
- कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी।
जब किन्ही दो वस्तुओं में किसी विशेष गुण, आकृति, आकार, स्वभाव आदि के कारण समानता दिखाई जाए या दो
भिन्न वस्तुओं में तुलना की जाए, तब वहाँ उपमा अलंकर होता है।
उपमा अलंकार में एक वस्तु या प्राणी की तुलना दूसरी किसी वस्तु या प्राणी के साथ की जाती है।
उदाहरण -
- चरण कमल सम कोमल ।
ऊपर दिए गए उदाहरण में चरण अर्थात पैर को कमल के समान कोमल बताया गया है। वाक्य में दो वस्तुओं की तुलना की गई है । अतः यह उदाहरण उपमा अलंकार के अंतर्गत आएगा। इस उदाहरण में ‘चरण’ – उपमेय है, ‘कमल’ – उपमान है, कोमल – साधारण धर्म है एवं सा – वाचक शब्द है।
- हरि पद कोमल कमल
ऊपर दिए गए उदाहरण में हरि के पैरों की तुलना कमल के फूल से की गई है। यहाँ पर हरि के चरणों को कमल के फूल के समान कोमल प्रदर्शित किया गया है।
उपमा अलंकार के अंग -
उपमेय,उपमान,
साधारण धर्म, और
वाचक शब्द ।
उपमेय : जिस वस्तु या व्यक्ति की तुलना की जाती है या जिस किसी वस्तु के बारे में बात की जा रही है (जो वर्णन का विषय है) वह उपमेय कहलाता है।
उपमान : वाक्य या काव्य में उपमेय की जिस वस्तु वा व्यक्ति से तुलना की जाती है, वह उपमान कहलाता है।
साधारण धर्म : साधारण धर्म उपमान ओर उपमेय में समानता का धर्म या गुण होता है। अर्थात जो गुण उपमेय
और उपमान दोनों में हो, जिसके कारण दोनों की तुलना की जा रही है, वही साधारण धर्म कहलाता है।
और उपमान दोनों में हो, जिसके कारण दोनों की तुलना की जा रही है, वही साधारण धर्म कहलाता है।
वाचक शब्द : वाचक शब्द वह शब्द होता है जिसके द्वारा उपमान और उपमेय में समानता दिखाई जाती है। जैसे : सा,समान,सम, सरिस, जैसा आदि ।
- चरण कमल सम कोमल ।
- पीपर पात सरिस मन डोला।
- मुख चन्द्रमा-सा सुन्दर है।
- नील गगन-सा शांत हृदय था रो रहा।
यहाँ हृदय की नील गगन से तुलना की गई है। इस वाक्य में हृदय – उपमेय है एवं नील गगन – उपमान है । शांत – साधारण धर्म है एवं सा – वाचक शब्द है।
- हाय फूल-सी कोमल बच्ची, हुई राख की थी ढेरी।
- सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन
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